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राजगढ़ में 8 सितंबर को निकलेगी विशाल धर्मयात्रा,घर-घर पहुंचा रहे पीले चावल का निमंत्रण,तैयारियां प्रारंभ




 

  राजगढ़/धार। नगर के तेरह मंदिरों में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव के समापन पर श्री चारभुजा युवा मंच के नेतृत्व में एक विशाल धर्मयात्रा निकाली जाएगी। यह यात्रा 8 सितंबर को सुबह 11 बजे माताजी मंदिर से प्रारंभ होगी। शहर के सभी निवासियों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए मंच के पदाधिकारी ढोल बजाते हुए घर-घर जाकर पीले चावल देकर निमंत्रण वितरित कर रहे हैं।

 मंच की परामर्श समिति के सदस्य मनोज महेश्वरी एवं नवीन बानिया ने बताया कि इस यात्रा का उद्देश्य नगर के सनातन धर्म की प्रत्येक समाज के लोगों की शत-प्रतिशत सहभागिता हासिल करना है। इसके लिए परिवार सहित यात्रा में पधारने का आमंत्रण दिया जा रहा है।

  निमंत्रण अभियान के तहत रविवार शाम को आदर्श मार्ग और संजय कॉलोनी में तथा सोमवार को मालपुरा और शंकरपुरा क्षेत्र में निमंत्रण वितरित किए गए। 

     इस अवसर पर मंच संरक्षक धारासिंह चौहान, अध्यक्ष सौरभ गर्ग, महासचिव महेश राठौर, सुजीत ठाकुर, गोविंद मोरी, कृष्णा बारोड़, गोपाल माहेश्वरी, राजेंद्र पड़ियार, मनीष मकवाना,रोहित सनी गोयल सहित अन्य सदस्य उपस्थित रहे। इसकी जानकारी मंच के मीडिया प्रभारी प्रभुसिंह राजपूत ने दी।

राजगढ़ में धूमधाम से मनाई गई तेजा दशमी,निकाली गई भव्य निशान यात्रा,मनन्तधारियो ने उठाए निशान







  राजगढ़/धार।  राजगढ़ क्षेत्र में मंगलवार 28 मई को भगवान तेजाजी महाराज के प्रति श्रद्धा और भक्ति की अमिट छाप के साथ तेजा दशमी का पर्व मनाया गया। इस पावन अवसर पर क्षत्रिय राजपूत समाज द्वारा एक भव्य निशान यात्रा का आयोजन किया गया।

  यात्रा का शुभारंभ सुबह दस बजे भानगढ़ रोड स्थित श्री तेजाजी मंदिर से हुआ। यात्रा के आगे-आगे बैंड बाजा बजते हुए चल रहा था, जिस पर भक्ति गीतों की मधुर प्रस्तुति से पूरे नगर का वातावरण आध्यात्मिक और उल्लासमय हो गया।

 यात्रा में दो घोड़ों पर सवार युवक धर्मपताका लहराते हुए नजर आए। निमाड़ के प्रसिद्ध पारंपरिक ढोल की थाप पर युवाओं ने उत्साहपूर्वक नृत्य किया। सुप्रसिद्ध भजन गायक श्री कृष्णा और गायिका श्रीमती दीपिका सोनी के मधुर भजनों पर युवतियों और महिलाओं ने आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किया। मन्नतधारी परिवारों के सदस्य धर्मध्वजा लेकर यात्रा में शामिल हुए।

  शहर के अनेक स्थानों पर यात्रा का स्वागत किया गया। यात्रा में पुरुषों ने पारंपरिक राजपूत वेशभूषा धारण की, वहीं महिलाएं चुनरी और साड़ी में शोभा का केंद्र बनीं। यात्रा में भगवान तेजाजी की एक मनमोहक झांकी भी शामिल थी, जिसने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।

  मुख्य मार्गों से होती हुई यात्रा पुनः तेजाजी मंदिर पहुँची, जहाँ मन्नतधारियों को विधि-विधान से पुनः विराजमान किया गया। मंदिर के पुजारियों द्वारा विधिवत पूजन-अर्चन किया गया। इस दौरान तेजाजी के अंशों (पुजारियों) द्वारा सांप आदि जहरीले जीव-जंतुओं के काटने से पीड़ित भक्तों के धागे (मन्नत के धागे) तोड़े गए।

  तेजा दशमी के शुभ अवसर पर देर रात तक मंदिर में श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहा, जो भगवान तेजाजी के दर्शन और वंदन कर अपनी श्रद्धा व्यक्त करते रहे।

हाईवे इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने Q1 FY 2025-26 में 38% राजस्व वृद्धि और 128% कर पश्चात लाभ वृद्धि दर्ज की


 भारत, मध्य प्रदेश, इंदौर

भारत के इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की अग्रणी कंपनी हाईवे इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (HIL) ने 30 जून 2025 को समाप्त तिमाही (Q1 FY 2025-26) के अपने असंशोधित वित्तीय परिणामों की घोषणा की। कंपनी ने राजस्व और लाभप्रदता, दोनों में मजबूत वृद्धि दर्ज की, जिसका आधार उच्च यातायात वॉल्यूम, परिचालन दक्षता और नए प्रोजेक्ट्स की सफलता रही।

 



वित्तीय प्रदर्शन – मजबूत वृद्धि का क्रम जारी

स्टैंडअलोन आधार पर, HIL ने Q1 FY 2025-26 में प्रमुख वित्तीय मानकों पर प्रभावशाली प्रदर्शन किया:

  • परिचालन से राजस्व वर्ष-दर-वर्ष 38% बढ़ा, जिसका मुख्य कारण मजबूत टोल कलेक्शन और दक्षता में सुधार रहा।

  • कर पश्चात शुद्ध लाभ (Net Profit After Tax) 128% बढ़ा, जो उच्च ऑपरेटिंग लीवरेज और प्रभावी लागत प्रबंधन का परिणाम है।

मुख्य वित्तीय आंकड़े:

विवरण

Q1 FY 25-26 (₹ करोड़)

Q1 FY 24-25 (₹ करोड़)

% वृद्धि

परिचालन से राजस्व

113.60

82.28

38.06%

EBITDA

106.23

80.51

31.95%

कर पश्चात शुद्ध लाभ

7.20

3.15

128.26%





परिचालन मुख्य बिंदु

ट्रैफिक ग्रोथ और दक्षता: यातायात वॉल्यूम में वृद्धि और डिजिटल टोलिंग सॉल्यूशंस के चलते राजस्व बढ़ा तथा यात्रियों को सुगमता मिली।

नए टोल ऑपरेशन्स का विस्तार: उत्तर प्रदेश स्थित किरतपुर शुल्क प्लाज़ा पर ₹84.78 करोड़ के कॉन्ट्रैक्ट मूल्य के साथ संचालन प्रारंभ हुआ।

नया प्रोजेक्ट अवॉर्ड: तिमाही के दौरान ₹31.07 करोड़ मूल्य का एक अतिरिक्त टोल प्रोजेक्ट प्राप्त हुआ, जिससे HIL की राष्ट्रीय उपस्थिति और सशक्त हुई।

 

ऑर्डर बुक और विकास दृष्टि

Q1 FY 2025-26 में टोल ऑर्डर बुक में कुल ₹115.85 करोड़ की वृद्धि हुई।

नए प्रोजेक्ट्स कंपनी की दीर्घकालिक वृद्धि की दृष्टि और मजबूत पोर्टफोलियो निर्माण की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

RFID और ANPR आधारित टोल कलेक्शन जैसी डिजिटल तकनीकों में निवेश HIL को एक टेक्नोलॉजी-लीड इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी के रूप में स्थापित कर रहा है।

 
कंपनी का वक्तव्य
“हमारा फोकस परिचालन दक्षता को और बढ़ाने तथा प्रोजेक्ट पोर्टफोलियो का विस्तार करने पर बना हुआ है। नए टोल प्रोजेक्ट्स हमारी उस दृष्टि के अनुरूप हैं जिसके तहत HIL को इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर का अग्रणी खिलाड़ी बनाना है। यह सभी शेयरधारकों और हितधारकों के लिए दीर्घकालिक मूल्य निर्माण करेगा। वित्तीय और परिचालन दोनों स्तरों पर मजबूत गति के साथ, HIL आगामी तिमाहियों में सतत वृद्धि और शेयरधारक मूल्य प्रदान करने के लिए सशक्त स्थिति में है।” — हाईवे इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड

 हाईवे इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (HIL) के बारे में

2006 में स्थापित, हाईवे इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (HIL) सड़कों, राजमार्गों, पुलों, टोलवे और भवनों सहित विभिन्न इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के विकास और निर्माण में संलग्न है।

प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY), आवासीय परियोजनाओं, स्कूलों, आईटी पार्क्स और कई महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का निष्पादन किया।

दिल्ली–मेरठ एक्सप्रेसवे पर ANPR-आधारित टोल कलेक्शन लागू करने वाले भारत के शुरुआती टोल ऑपरेटरों में से एक।

वर्तमान में 11 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में टोल ऑपरेशन्स का प्रबंधन।

EPC बिज़नेस और मजबूत इंजीनियरिंग क्षमताओं के साथ HIL एंड-टू-एंड इंफ्रास्ट्रक्चर समाधान प्रदान करता है।

अधिक जानकारी के लिए: www.highwayinfrastructure.in

 
डिस्क्लेमर:
यह प्रेस विज्ञप्ति प्रबंधन की मौजूदा अपेक्षाओं और आकलनों पर आधारित भावी वक्तव्यों को शामिल कर सकती है। ये वक्तव्य जोखिमों और अनिश्चितताओं के अधीन हैं, जिनसे वास्तविक परिणाम भिन्न हो सकते हैं। कंपनी इन वक्तव्यों को अद्यतन करने के लिए बाध्य नहीं है, सिवाय लागू कानूनों के अंतर्गत।

राजगढ़ में सनातन धर्म का 38वां कुंभ : 13 मंदिरों में एकसाथ श्रीमद भागवत महापुराण स्थापना,शंखनाद के साथ कल से 7 दिनों तक धर्म गंगा का वाचन होगा,कथा के चलते प्रतिदिन होंगे धार्मिक आयोजन,समापन पर निकलेगी विशाल धर्म यात्रा




 

   राजगढ़, धार: मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित राजगढ़ नगर भक्ति, एकता और अनूठी परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। यहां 1987 से हर साल आयोजित होने वाला सनातन धर्म का कुंभ पूरे देश के लिए एक मिसाल है। इस वर्ष भी, श्री सनातन समाज और श्री चारभुजा युवा मंच के तत्वावधान में नगर के 13 प्रमुख मंदिरों में एक साथ श्रीमद भागवत महापुराण का वाचन किया जाएगा। यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि आस्था और सांस्कृतिक गौरव का एक अद्भुत प्रतीक है।

13 मंदिरों में एक साथ गूंजेगी धर्म गंगा

   राजगढ़, जिसे मंदिरों का शहर कहना भी गलत नहीं होगा, रविवार को एक बार फिर से भक्ति के रंग में रंग गया। सनातन धर्म के 38वें कुंभ का शंखनाद हो चुका है, जिसके तहत 13 मंदिरों में विधि-विधान से श्रीमद भागवत महापुराण की स्थापना की गई। अब सोमवार से अगले सात दिनों तक इन सभी मंदिरों में एक साथ कथावाचन होगा। इस दौरान पूरा नगर धार्मिक और आध्यात्मिक ऊर्जा से ओत-प्रोत रहेगा।

  इस वर्ष का आयोजन कई मायनों में खास है। यह सर्वधर्म समभाव की भावना को दर्शाता है और पिछले तीन दशक से भी अधिक समय से बिना रुके जारी है। कोरोना महामारी के दौरान भी यह परंपरा खंडित नहीं हुई थी, जब सीमित रूप से केवल पूजा और वाचन किया गया था।

   रविवार को हुए स्थापना पूजन में कथावाचकों ने मंत्रोच्चार के साथ गणेश पूजन, कलश और श्रीमद्भागवत महापुराण का पूजन कराया। इसके बाद कथा स्थलों पर कलश और पोथी (ग्रंथ) की स्थापना की गई। पूजा के बाद आरती और प्रसाद का वितरण किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने हिस्सा लिया।

इन मंदिरों में होगा आयोजन

  महापुराण की स्थापना राजगढ़ के इन प्रमुख मंदिरों में की गई है श्री शेषषायी राधाकृष्ण राजपूत समाज मंदिर,पांच धाम एक मुकाम माताजी मंदिर,श्रीचारभुजा मंदिर,दलपुरा स्थित श्रीआईमाता मंदिर,श्रीराधाकृष्ण गवली समाज मंदिर,श्रीराम लोहार समाज मंदिर,सरकारी श्रीराम मंदिर में,श्रीराम सेन समाज मंदिर,श्री लालबाई-फूलबाई मंदिर, वार्ड क्रमांक 15 स्थित श्रीरामदेव चारण समाज मंदिर,मंडी प्रांगण स्थित श्री शिव मंदिर, मालीपुरा स्थित श्री शिव मंदिर व दलपुरा स्थित श्रीराम मंदिर पर विधिपूर्वक भागवत पौथी की स्थापना की गई। 

धार्मिक कार्यक्रम और यात्रा

  श्री चारभुजा युवा मंच अध्यक्ष सौरभ गर्ग ने बताया कि कथा महोत्सव के चलते प्रतिदिन धार्मिक आयोजन  होंगे। इसके तहत तीन सितंबर को सामूहिक डोल यात्रा, चार को श्रीकृष्ण जन्मवाचन समारोह यात्रा निकाली जाएगी। वही सात सितंबर को पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण होनेे के कारण इस दिन समापन धर्मयात्रा नहीं निकाली जाएगी। मंदिरों में दोपहर आरती के बाद पट बंद कर दिया जाएगे। इसके चलते एक दिन बाद यानि आठ सितंबर को प्रातः 11 बजे श्रीमाताजी मंदिर से यात्रा निकाली जाएगी।

  मंच सचिव संरक्षक धारासिंह चौहान ने बताया कि यात्रा को लेकर गत दिनों श्रीचारभुजा मंदिर परिसर में मंच के पदाधिकारियों की बैठक का आयोजन किया गया था। बैठक में यात्रा में व्यवस्था को लेकर अलग-अलग समितियां बनाकर दायित्व सौंपे गए हैं। 

राष्ट्रीय खेल दिवस 2025: मेजर ध्यानचंद जी के जन्मदिन पर खेल आयोजन






      

 

 सरदारपुर/राजगढ़।  श्री राजेद्रसूरी शासकीय महाविद्यालय सरदारपुर-राजगढ़ जिला धार, में मेजर ध्यानचंद जी का जन्मदिवस राष्ट्रीय खेल पर्व के रूप में (राष्ट्रीय खेल दिवस) दिनांक 29 अगस्त से 31 अगस्त 2025 तक मनाया गया। जिसमें महाविद्यालय के अधिकारी / कर्मचारी एवं छात्र-छात्राओं ने विभिन्न खेल गतिविधियों में जिसमें क्रीकेट, 100 मीटर दौड़, डिस्क थो, जेविलयन थ्रो, कब्बडी महिला एवं पुरूष, शतरंज, साईकिलिंग एक्टिविटी करवाई गई। इन गतिविधियों में सम्मिलित होकर हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद जी का जन्म उत्सव महाविद्यालय परिसर में उत्साह पूर्वक मनाया।

  इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.एल.एस. अलावा, एवं महाविद्यालय के समस्त स्टॉफ ने इस कार्यक्रम में रनिंग, साईकिलिंग शतरंज जैसी एक्टिविटी में भाग लिया एवं छात्र-छात्राओं का उत्साह बढ़ाते हुए इस कार्यक्रम को सफल दिशा निर्देश दिए इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त स्टाफ प्रो. सरिता जैन, चेयरमेन वाणिज्य देवी अहिल्या वि.वि.इन्दौर प्रो. आर.के.जैन डॉ.डी.एस. मुजाल्दा, डॉ. ममता दास, डॉ.बी.एस.बघेल, प्रो. सुरेन्द्र रावत, डॉ. निधि वाजपेई, श्रीमती लालिमा विजयवर्गीय, डॉ. बसंती मुझाल्दा, डॉ. राधा अलन्से, डॉ. मोहितसिंह चौहान, श्रीमती अंजली भाटी, श्रीमती विजयाराजे दरबार, श्री महेश उपाध्याय, श्री महेन्द्र अलावा, श्री दिपेश डांगी, श्री कमलेश चौहान, श्री अजय राठौर, श्रीमती मीना अलावा, कु.खुशी गेहलोत, श्री योगेश सांकला आदि की उपस्थिति सराहनीय रही। इस कार्यक्रम का सफल संचालन महाविद्यालय के क्रीड़ा प्रभारी डॉ. राकेश शिन्दे के द्वारा किया गया।

श्रेया शर्मा का नया गाना ‘Pari’ सिर्फ धुन नहीं, खुद से प्यार करने का एक बेबाक ऐलान है

वायरल हिट्स से पहचान बनाने वाली मशहूर गायिका श्रेया शर्मा ने अपने नए गाने ‘Pari’ के साथ संगीत जगत में एक शानदार वापसी की है। 21 अगस्त को रिलीज़ हुआ यह गाना सिर्फ एक पॉप एंथम नहीं, बल्कि खुद से प्यार करने, नारी शक्ति और बॉडी पॉजिटिविटी को समर्पित एक जोरदार सांस्कृतिक बयान है।

लगभग एक साल की मेहनत से तैयार हुआ ‘Pari’ एक ऑल-विमेन क्रिएटिव टीम की शानदार रचना है। गाने को ‘बेपरवाह’ फेम की मितिका कंवर ने लिखा है और डार्क, इमर्सिव साउंडस्केप के लिए ड्रोनार्क ने इसे प्रोड्यूस किया है। इसका नतीजा एक ऐसा ट्रैक है जो आज के दौर में सशक्तिकरण की नई परिभाषा गढ़ता है।



गाने के बारे में बात करते हुए श्रेया ने कहा, “‘Pari’ अपनी खुद की और दुनिया की नजरों को वापस पाने के बारे में है। यह उस कामुकता के बारे में है जो आत्म-मूल्य में निहित है, न कि दूसरों की सराहना में। मेरे लिए, इसका मतलब एक ऐसा गाना और वीडियो बनाना था जो कोमलता, आनंद, शक्ति और महिलाओं को उनकी पूरी पहचान के साथ पेश करे।”

गाने का प्रभाव बढ़ाने के लिए रिदिशा बलानी ने एक धमाकेदार डांस-प्रधान म्यूजिक वीडियो कोरियोग्राफ किया है। यह वीडियो बिना किसी शर्म के, सिर्फ अपनी कामुकता के जरिए अपनी जगह बनाने की शक्ति को दिखाता है। रील्स के लिए बनाए गए खास हुक स्टेप और एक निर्माता-नेतृत्व वाली लॉन्चिंग योजना के साथ, ‘Pari’ को सशक्त बनाने, लुभाने और धूम मचाने के लिए ही बनाया गया है।




‘Prada’ और ‘Duppata’ जैसे हिट्स से मशहूर होने वाली श्रेया शर्मा ने भारत के इंडिपेंडेंट म्यूजिक सीन में अपनी एक बेबाक पहचान बनाई है। FUGA द्वारा साइन की गई पहली इंडिपेंडेंट आर्टिस्ट के रूप में, वह संगीत और विषयों दोनों में सीमाओं को तोड़ना जारी रखे हुए हैं।

श्रेया कहती हैं, “संगीत में महिलाओं से हमेशा भावनात्मक, शारीरिक और कलात्मक रूप से सिकुड़ने की उम्मीद की जाती है। ‘Pari’ मेरा इनकार है। यह मेरे लिए और अन्य महिलाओं के लिए एक याद दिलाता है कि कोमलता और शक्ति दोनों एक साथ रह सकते हैं।”

प्रो. अनिल कुमार राय: शिक्षा और प्रशासन में चार दशकों का अनुभव



भारतीय उच्च शिक्षा जगत में प्रो. (डॉ.) अनिल कुमार राय  Dr. Anil Kumar Rai का नाम एक ऐसे शिक्षाविद और प्रशासक के रूप में लिया जाता है, जिन्होंने चार दशकों से अधिक समय तक लगातार अकादमिक और प्रशासनिक क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ी है। अध्यापन से लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन तक, उनका सफर कई महत्वपूर्ण पड़ावों से गुज़रा है, जिसने शिक्षा प्रणाली में सुधार और पारदर्शिता लाने में योगदान दिया।

प्रो. राय का जन्म उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने उच्च अध्ययन के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय का रुख किया और वहीं से स्नातक, स्नातकोत्तर तथा पीएचडी की डिग्री हासिल की। छात्र जीवन से ही वे सक्रिय रहे और विश्वविद्यालयी गतिविधियों में अपनी पहचान बनाई।

अपने पेशेवर करियर की शुरुआत उन्होंने वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में की, जहाँ वे जनसंचार विभाग के संस्थापक विभागाध्यक्ष बने। उनकी पहल पर यहाँ पत्रकारिता और जनसंचार की पढ़ाई को नया स्वरूप मिला और छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान के साथ शोध-आधारित शिक्षा उपलब्ध कराई गई। इसके बाद उन्होंने महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक जिम्मेदारियाँ संभालीं। यहाँ वे डीन ऑफ स्टूडेंट्स वेलफेयर, स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज एंड ह्यूमैनिटीज तथा स्कूल ऑफ एजुकेशन के प्रमुख रहे।

प्रो. राय का प्रशासनिक सफर और भी महत्वपूर्ण तब हुआ, जब उन्हें वर्ष 2009 में महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय का पहला प्रो-वीस-चांसलर नियुक्त किया गया। यह विश्वविद्यालय उस समय नया-नया स्थापित हुआ था और संस्थागत ढाँचे को खड़ा करना सबसे बड़ी चुनौती थी। इस जिम्मेदारी को उन्होंने बेहतर ढंग से निभाया और विश्वविद्यालय की आधारभूत संरचना को सुदृढ़ करने में योगदान दिया।

साल 2018 में उन्हें इसी विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया गया। इस दौरान उन्होंने शैक्षणिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने के साथ-साथ प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा दिया। दिसंबर 2019 तक कुलपति के रूप में उनकी कार्यशैली छात्रों और शिक्षकों के बीच चर्चा का विषय बनी रही। कई अकादमिक विशेषज्ञों का मानना है कि उनके कार्यकाल ने विश्वविद्यालय को एक नई पहचान दिलाई।

शैक्षणिक और प्रशासनिक योगदानों के अलावा प्रो. राय को अनेक सम्मान और पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं। उन्हें संचार श्री पुरस्कार (2005), कुलभूषण मानद उपाधि (2006), उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान (2013-14), भारत ज्योति पुरस्कार (2015) और विदर्भ भूषण सम्मान (2015) जैसे सम्मानों से नवाजा गया। इन पुरस्कारों को उनके लंबे और निरंतर शैक्षणिक योगदान की पहचान माना जाता है।

प्रो. राय का जुड़ाव छात्र राजनीति से भी रहा है। वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की विदर्भ इकाई के उपाध्यक्ष रहे। हालाँकि, विश्वविद्यालय प्रशासन में उनकी प्राथमिकता हमेशा शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाना और संस्थागत ढाँचे को मजबूत करना ही रही।

शिक्षा जगत से जुड़े लोगों का मानना है कि प्रो. राय का योगदान केवल विश्वविद्यालय प्रशासन तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में ठोस पहल की। नई शिक्षा नीति (NEP) के परिप्रेक्ष्य में उनके विचार और कार्य विश्वविद्यालयों में व्यावहारिक रूप से लागू किए जा सकते हैं।

आज भी वे उच्च शिक्षा और प्रशासन पर चर्चाओं में शामिल रहते हैं और नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा बने हुए हैं। उनके जीवन की यात्रा इस बात का उदाहरण है कि एक शिक्षक केवल कक्षा तक ही सीमित नहीं रहता, बल्कि एक अच्छे प्रशासक के रूप में संस्थागत विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।