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भारत के पहले खुले तौर पर समलैंगिक राजकुमार मानवेंद्र सिंह गोहिल (Prince Manvendra Singh Gohil): समावेशिता और समानता के प्रतीक


भारत के पहले खुले तौर पर समलैंगिक राजकुमार, मानवेंद्र सिंह गोहिल (Prince Manvendra Singh Gohil), LGBTQIA+ समुदाय के अधिकारों के लिए एक नई मिसाल कायम कर रहे हैं। एक रूढ़िवादी समाज में पले-बढ़े मानवेंद्र ने 2006 में अपनी पहचान सार्वजनिक की, जो समाज में बदलाव लाने वाला ऐतिहासिक क्षण था। उनके साहसिक कदम ने LGBTQIA+ समुदाय के प्रति लोगों की सोच बदलने में मदद की और उन्हें दुनिया भर में एक प्रेरणा बना दिया।

आज मानवेंद्र सिंह गोहिल सर्च एंड्स इन्क्लूजन इम्पैक्ट (SEII) के माध्यम से LGBTQIA+ अधिकारों को बढ़ावा दे रहे हैं। यह संगठन भेदभाव और पूर्वाग्रहों को मिटाने के लिए काम करता है। SEII कार्यस्थलों और समुदायों में समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान करता है। राजकुमार मानवेंद्र का मानना है कि समाज को हर व्यक्ति के लिए समान अवसर और सम्मान देना चाहिए।

राजकुमार मानवेंद्र ने अपनी शादीशुदा जिंदगी से भी समाज को एक सकारात्मक संदेश दिया है। उनके पति, एचएच प्रिंस डिएंड्रे रिचर्डसन ऑफ हनुमंतश्वर, के साथ उनकी शादी ने यह दिखाया कि सच्चा प्रेम हर सीमा को पार कर सकता है। उनकी हालिया पुस्तक "ए रॉयल कमिटमेंट: टेन ईयर्स ऑफ मैरिज एंड एक्टिविज्म" उनके जीवन और LGBTQIA+ अधिकारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह पुस्तक संघर्ष, स्वीकृति और सच्चे प्रेम की कहानी को विस्तार से पेश करती है।

इसके अलावा, मानवेंद्र सिंह गोहिल ने फिल्म "कटला करी" में अभिनय किया है, जो LGBTQIA+ समुदाय के अधिकारों और स्वीकृति का संदेश देती है। यह फिल्म समाज को प्रेम, स्वीकृति और विविधता के महत्व को समझाने का प्रयास करती है। फिल्म ने LGBTQIA+ समुदाय के लिए एक सकारात्मक माहौल तैयार करने में योगदान दिया है।

मानवेंद्र सिंह गोहिल का मानना है कि LGBTQIA+ अधिकार केवल एक समुदाय का मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरे समाज के विकास और समानता का प्रश्न है। SEII के तहत वे जागरूकता अभियान और कार्यशालाएँ आयोजित करते हैं, जिनका उद्देश्य LGBTQIA+ व्यक्तियों को एक सुरक्षित और सहायक वातावरण प्रदान करना है। उनके नेतृत्व में SEII कार्यस्थलों और पर्यटन स्थलों पर समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है।

राजकुमार मानवेंद्र के अनुसार, जब समाज सभी को उनकी पहचान के साथ स्वीकार करता है, तो यह न केवल मानवाधिकारों की जीत होती है, बल्कि इससे समाज का आर्थिक और सांस्कृतिक विकास भी संभव होता है। उनकी सोच और प्रयासों ने उन्हें भारत और विश्व स्तर पर LGBTQIA+ समुदाय के लिए एक सम्मानित चेहरा बना दिया है।

मानवेंद्र सिंह गोहिल का जीवन संघर्ष, प्रेम, और समर्पण की कहानी है। उनके प्रयास LGBTQIA+ समुदाय के लोगों को सशक्त बना रहे हैं और दुनिया को यह सिखा रहे हैं कि समानता और समावेशिता हर समाज का आधार होना चाहिए।

18वें ग्लोबल कम्युनिकेशन कॉन्क्लेव में बीपीसीएल चमका, कई पुरस्कार जी

मुंबई | मैंगलोर, भारत

फॉर्च्यून ग्लोबल 500 कंपनी और गौरवान्वित 'महारत्न' भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) ने पब्लिक रिलेशंस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीआरसीआई) द्वारा आयोजित 18वें ग्लोबल कम्युनिकेशन कॉन्क्लेव में एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है।


बीपीसीएल ने संचार और ब्रांड स्टोरीटेलिंग में उत्कृष्टता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हुए 14वें पीआरसीआई उत्कृष्टता पुरस्कार 2024 और प्रतिष्ठित 15वें चाणक्य पुरस्कार 2024 में कई पुरस्कार अर्जित किए। पीआरसीआई उत्कृष्टता पुरस्कार 2024 में, बीपीसीएल ने अपने उत्कृष्ट कॉर्पोरेट ब्रोशर और प्रभावशाली सामुदायिक प्रभाव संचार के लिए सिल्वर ट्रॉफी सहित शीर्ष सम्मान हासिल किया। कंपनी को अपनी व्यापक और अच्छी तरह से संरचित वार्षिक रिपोर्ट के लिए सांत्वना पुरस्कार के साथ-साथ अपने अनुकरणीय पीआर केस स्टडी और रचनात्मक टेलीविजन विज्ञापनों के लिए कांस्य पुरस्कार भी मिला।


15वें चाणक्य पुरस्कार 2024 ने बीपीसीएल के भीतर व्यक्तिगत उत्कृष्टता को मान्यता दी। श्री अब्बास अख्तर, कार्यकारी निदेशक (पीआर एवं ब्रांड) को बीपीसीएल की ब्रांड छवि को ऊंचा उठाने में उनके दूरदर्शी नेतृत्व के लिए प्रतिष्ठित कॉर्पोरेट प्रतिष्ठा उत्कृष्टता पुरस्कार प्राप्त हुआ। श्री सौरभ जैन, उप महाप्रबंधक ने प्रभावशाली और यादगार कार्यक्रमों को निष्पादित करने में उनके असाधारण योगदान के लिए वर्ष के उत्कृष्ट इवेंट मैनेजर का पुरस्कार जीता। इसके अतिरिक्त, श्री खालिद अहमद को बीपीसीएल के डिजिटल फुटप्रिंट और जुड़ाव को बढ़ाने में उनके अभिनव कार्य के लिए डिजिटल मीडिया इनोवेशन अवार्ड मिला।


कार्यकारी निदेशक (पीआर और ब्रांड) श्री अब्बास अख्तर ने कहा, हम इन प्रतिष्ठित पुरस्कारों को प्राप्त करके सम्मानित महसूस कर रहे हैं, जो नवीन संचार रणनीतियों के माध्यम से बीपीसीएल की ब्रांड छवि को ऊपर उठाने में हमारे प्रयासों को मान्य करते हैं। यह मान्यता कॉर्पोरेट प्रतिष्ठा और ब्रांड स्टोरीटेलिंग में नए मानक स्थापित करने के हमारे जुनून को बढ़ावा देती है।


ग्लोबल कम्युनिकेशन कॉन्क्लेव 2024, जो मैंगलोर में आयोजित किया गया था, में माननीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री, श्री श्रीपाद येसो नाइक और मिस ग्लोबल इंडिया 2024, स्वीज़ल फ़र्टाडो ने भाग लिया। चूंकि बीपीसीएल उद्योग में मानक स्थापित करना जारी रख रहा है, ये मान्यताएं उत्कृष्टता, नवाचार और प्रभावशाली संचार के प्रति कंपनी के अटूट समर्पण को उजागर करती हैं। बीपीसीएल सीमाओं को आगे बढ़ाने, सकारात्मक बदलाव लाने और वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में अग्रणी के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।

Bodoland Mohutsav 2024 का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी New Delhi में कर रहे है

नई दिल्ली, [15/11/2024] – बहुप्रतीक्षित बोडोलैंड महोत्सव 15 December 2024 को नई दिल्ली में शुरू होगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांस्कृतिक उत्सव का उद्घाटन करेंगे। बोडोलैंड क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं और विविध जातीय पहचान का जश्न मनाने वाला यह कार्यक्रम राष्ट्रीय राजधानी के केंद्र में होगा।
बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीआर) प्रशासन द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक संगठनों के सहयोग से आयोजित इस महोत्सव का उद्देश्य क्षेत्र के स्वदेशी समुदायों के अद्वितीय नृत्य रूपों, संगीत, व्यंजनों, कलाओं और हस्तशिल्प को प्रदर्शित करना है। यह महोत्सव क्षेत्रीय पर्यटन को बढ़ावा देने और अधिक राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने के साथ-साथ बोडोलैंड द्वारा हासिल की गई सामाजिक और आर्थिक प्रगति को उजागर करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा।
महोत्सव के बारे में बात करते हुए, बीटीआर प्रशासन के सूत्रों ने खुलासा किया कि इसमें सांस्कृतिक प्रदर्शन, प्रदर्शनियाँ और स्थानीय कारीगरों के साथ बातचीत की एक श्रृंखला होगी, जो आगंतुकों को बोडोलैंड की परंपराओं में डूबने का अवसर प्रदान करेगी। इस कार्यक्रम में क्षेत्र के विकास, इसकी प्राकृतिक सुंदरता और इसकी सांस्कृतिक विविधता को संरक्षित करने के महत्व पर भी चर्चा होगी। उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी से बोडोलैंड क्षेत्र पर राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित होने और पूर्वोत्तर भारत में समावेशी विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करने की उम्मीद है।
उम्मीद है कि प्रधानमंत्री सांस्कृतिक आदान-प्रदान और विविधता में एकता के महत्व पर जोर देते हुए सभा को संबोधित करेंगे। बोडोलैंड महोत्सव 2024 में देश-विदेश से बड़ी संख्या में आगंतुकों के आने की उम्मीद है और इसे क्षेत्र की सांस्कृतिक कूटनीति और सामाजिक-आर्थिक उन्नति को बढ़ावा देने में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। यह कार्यक्रम कई दिनों तक चलेगा और उम्मीद है कि यह राष्ट्रीय मंच पर बोडोलैंड की जीवंत विरासत को प्रदर्शित करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

रवि ग्रुप (Ravi Group) के जयेश शाह (Jayesh Shah) ने मुंबई में शुरू की अनोखी 'स्मार्ट विलेज' परियोजना

मुंबई के प्रतिष्ठित रियल एस्टेट डेवलपर रवि ग्रुप (Ravi Group) के प्रबंध निदेशक जयेश शाह (Jayesh Shah) (Ketan Shah) ने 'स्मार्ट विलेज' नामक एक क्रांतिकारी परियोजना की घोषणा की है, जो मुंबई के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की नई लहर लाने का वादा करती है। इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिक सुविधाओं और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देना है, जिससे वहां के निवासियों का जीवन स्तर सुधर सके।


जयेश शाह ने परियोजना की घोषणा करते हुए कहा, "हमारा लक्ष्य केवल शहरों का विकास करना नहीं है, बल्कि गाँवों को भी समान अवसर प्रदान करना है। 'स्मार्ट विलेज' परियोजना ग्रामीण और शहरी जीवन के बीच की खाई को पाटने का एक प्रयास है।"


इस परियोजना के तहत, रवि ग्रुप मुंबई के आसपास के पाँच गाँवों में आधुनिक आवास, डिजिटल कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य सेवाएँ, और रोजगार केंद्र स्थापित करेगा। प्रत्येक गाँव में एक 'ज्ञान केंद्र' भी बनाया जाएगा, जहाँ युवाओं को डिजिटल कौशल और उद्यमिता का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह पहल ग्रामीण युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें शहरों की ओर पलायन से रोकने में सहायक होगी।


स्थानीय निवासी रमेश पाटिल ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, "शाह जी की यह पहल हमारे गाँव के लिए वरदान साबित होगी। हमारे बच्चों को अब बेहतर शिक्षा और रोजगार के लिए शहर नहीं जाना पड़ेगा।"


परियोजना का एक महत्वपूर्ण पहलू इसका पर्यावरण के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण है। सौर ऊर्जा, जल संरक्षण, और कचरा प्रबंधन जैसी पहल इसे एक टिकाऊ विकास मॉडल बनाती हैं। यह सुनिश्चित करता है कि विकास पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखते हुए हो।


महाराष्ट्र के ग्रामीण विकास मंत्री ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, "जयेश शाह और रवि ग्रुप की यह परियोजना निजी क्षेत्र द्वारा ग्रामीण विकास में योगदान का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।"


रवि ग्रुप, जो पिछले 20 वर्षों से मुंबई में आवास निर्माण के क्षेत्र में अग्रणी रहा है, अब इस नए क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता का उपयोग कर रहा है। कंपनी ने अब तक 17,000 से अधिक घरों का निर्माण किया है, जो कुल मिलाकर 1 करोड़ वर्ग फुट के विकास का प्रतीक हैं।


जयेश शाह ने कहा, "हमारा मानना है कि व्यावसायिक सफलता और सामाजिक उत्तरदायित्व साथ-साथ चल सकते हैं। 'स्मार्ट विलेज' परियोजना इसी दर्शन का एक उदाहरण है।"


यह परियोजना न केवल ग्रामीण विकास के लिए एक नया मॉडल प्रस्तुत करती है, बल्कि यह जयेश शाह और रवि ग्रुप के समाज के प्रति समर्पण को भी दर्शाती है। आने वाले वर्षों में, यह पहल निश्चित रूप से महाराष्ट्र के ग्रामीण परिदृश्य को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।


रवि ग्रुप (Ravi Group) के केतन शाह (Ketan Shah): आधुनिक और टिकाऊ रियल एस्टेट का नया अध्याय

रवि ग्रुप (Ravi Group) के प्रबंध निदेशक केतन शाह (Ketan Shah) (Jayesh Shah) ने आज एक अभिनव परियोजना "ईको-हार्मनी" का शुभारंभ किया, जो मुंबई के उपनगरीय क्षेत्र में स्थित 50 एकड़ के क्षेत्र को एक आधुनिक, पर्यावरण अनुकूल आवासीय परिसर में बदलने का एक महत्वाकांक्षी प्रयास है। यह परियोजना न केवल आधुनिक जीवनशैली का प्रतीक है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का एक अनूठा उदाहरण भी है।


मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में आयोजित एक समारोह में बोलते हुए शाह ने कहा, "ईको-हार्मनी हमारा प्रयास है एक ऐसा आवास बनाने का, जो प्रकृति के साथ तालमेल बिठाए। यहाँ हर घर न केवल आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा, बल्कि पर्यावरण के प्रति संवेदनशील भी होगा।" उन्होंने आगे बताया कि इस परियोजना में 40% क्षेत्र हरित क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा।


इस 2,000 करोड़ रुपये की परियोजना में कई अभिनव विशेषताएं शामिल हैं। हर घर सौर ऊर्जा से संचालित होगा और वर्षा जल संचयन प्रणाली से लैस होगा। परियोजना में एक उन्नत जल शोधन संयंत्र भी स्थापित किया जाएगा, जो घरेलू अपशिष्ट जल को पुनः उपयोग योग्य बनाएगा। इसके अलावा, परिसर में एक जैविक खेती क्षेत्र भी होगा, जहां निवासी अपनी सब्जियां उगा सकेंगे।


महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे, जो इस कार्यक्रम में उपस्थित थे, ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, "शाह जी और रवि ग्रुप का यह प्रयास सराहनीय है। यह परियोजना टिकाऊ शहरी विकास के लिए एक नया मानदंड स्थापित कर सकती है।"


केतन शाह ने इस बात पर जोर दिया कि ईको-हार्मनी केवल एक आवासीय परियोजना नहीं है, बल्कि एक जीवन शैली है। "हम केवल घर नहीं बना रहे हैं, हम एक ऐसा समुदाय बना रहे हैं जो पर्यावरण के प्रति जागरूक हो और टिकाऊ जीवन शैली को अपनाए।" उन्होंने बताया कि परिसर में एक समुदाय केंद्र, एक जैविक बाग़, और एक पुस्तकालय भी शामिल होगा। इसके अलावा, मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए एक ध्यान और योग केंद्र भी बनाया जाएगा।


शहरी विकास विशेषज्ञ डॉ. अंजलि देसाई ने इस परियोजना की प्रशंसा करते हुए कहा, "ईको-हार्मनी एक अनूठा प्रयास है जो आधुनिक जीवनशैली और पर्यावरण संरक्षण के बीच एक संतुलन बनाने का प्रयास करता है। यह भारत के शहरी विकास के लिए एक नया मॉडल हो सकता है।"


परियोजना का पहला चरण जनवरी 2025 में शुरू होगा और इसके 2027 तक पूरा होने की उम्मीद है। शाह ने कहा कि अगर यह प्रयोग सफल रहा, तो वे इस मॉडल को अपनी अन्य परियोजनाओं में भी लागू करेंगे।


समारोह के अंत में, केतन शाह ने एक भावुक टिप्पणी के साथ अपनी बात समाप्त की। "ईको-हार्मनी केवल एक परियोजना नहीं है, यह आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारा उपहार है। हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे और पोते एक ऐसे वातावरण में बड़े हों जो स्वस्थ, सुरक्षित और टिकाऊ हो।"


रवि ग्रुप की यह पहल न केवल रियल एस्टेट क्षेत्र में एक नया अध्याय लिख रही है, बल्कि यह दिखा रही है कि कैसे व्यावसायिक सफलता और पर्यावरण संरक्षण एक साथ हासिल किए जा सकते हैं। केतन शाह और रवि ग्रुप के नेतृत्व में, ईको-हार्मनी परियोजना भारत के शहरी विकास के लिए एक नई दिशा निर्धारित कर सकती है।


भारत के पहले खुले तौर पर समलैंगिक राजकुमार, मानवेंद्र सिंह गोहिल (Manvendra Singh Gohil): LGBTQIA+ समुदाय के लिए एक प्रेरणादायक आवाज

भारत के पहले खुले तौर पर समलैंगिक राजकुमार, मानवेंद्र सिंह गोहिल (Manvendra Singh Gohil), LGBTQIA+ समुदाय के अधिकारों के लिए एक प्रेरणादायक आवाज बन गए हैं। पारंपरिक भारतीय समाज में पले-बढ़े मानवेंद्र ने 2006 में अपनी पहचान सार्वजनिक की, जिससे समाज में समलैंगिक अधिकारों और स्वीकृति को लेकर कई नई चर्चाओं का मार्ग प्रशस्त हुआ। अपने इस साहसी कदम से उन्होंने LGBTQIA+ समुदाय को भारतीय समाज में जगह दिलाने के लिए एक अहम पहल की, जिससे वे समाज में बदलाव लाने के प्रतीक बन गए हैं।


आज, मानवेंद्र सिंह गोहिल सर्च एंड्स इन्क्लूजन इम्पैक्ट (SEII) के प्रबंध निदेशक हैं, जो LGBTQIA+ समुदाय की सहायता और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रहा है। SEII के माध्यम से, वे विभिन्न संगठनों और समुदायों के साथ मिलकर काम करते हैं ताकि भेदभाव का सामना कर रहे लोगों को समर्थन और समानता मिले। उनकी यह पहल समाज को अधिक समावेशी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और LGBTQIA+ समुदाय को मुख्यधारा में स्थान दिलाने की दिशा में सराहनीय कार्य कर रही है।


राजकुमार मानवेंद्र अपने पति एचएच प्रिंस डिएंड्रे रिचर्डसन ऑफ हनुमंतश्वर के साथ मिलकर LGBTQIA+ अधिकारों के लिए अपनी आवाज बुलंद करते हैं। हाल ही में, उनकी शादी को दस साल पूरे हुए, जो कि उनके प्यार, संघर्ष और स्वीकृति की मिसाल है। दोनों ने मिलकर अपनी यात्रा और LGBTQIA+ समुदाय के लिए अपने संघर्षों पर आधारित एक पुस्तक ए रॉयल कमिटमेंट: टेन ईयर्स ऑफ मैरिज एंड एक्टिविज्म लिखी है, जो दुनिया भर में लोगों को प्रेरित कर रही है। यह पुस्तक उनके निजी अनुभवों और LGBTQIA+ समुदाय के अधिकारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।


सामाजिक कार्यों के अलावा, राजकुमार मानवेंद्र ने फिल्म कटला करी में भी अभिनय किया है, जिसे LGBTQIA+ समुदाय के लिए उत्कृष्ट फिल्म पुरस्कार मिला है। इस फिल्म के माध्यम से उन्होंने प्रेम और स्वीकृति का संदेश दिया है। नर्मदा नदी के किनारे शूट की गई यह फिल्म LGBTQIA+ समुदाय के लिए सामाजिक स्वीकृति और प्रेम के महत्व को बढ़ावा देने का प्रयास है। फिल्म ने दर्शकों के दिलों में जगह बनाई और LGBTQIA+ अधिकारों के प्रति समर्थन बढ़ाने का संदेश दिया।


राजकुमार मानवेंद्र के अनुसार, LGBTQIA+ समावेशिता केवल व्यक्तिगत आज़ादी का विषय नहीं है, बल्कि समाज के सभी वर्गों में समानता और सम्मान को बढ़ावा देने का भी एक तरीका है। SEII के माध्यम से, वे जागरूकता कार्यक्रम, कार्यशालाओं और परामर्श सत्रों का आयोजन करते हैं, जो लोगों को LGBTQIA+ समुदाय के प्रति संवेदनशीलता और स्वीकृति सिखाते हैं। उनका मानना है कि समाज को बदलने के लिए जमीनी स्तर पर काम करना आवश्यक है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ बिना किसी डर और भेदभाव के साथ अपनी असल पहचान के साथ खुलकर जीवन जी सकें।


राजकुमार मानवेंद्र ने कार्यस्थलों में LGBTQIA+ समुदाय के लिए अनुकूल वातावरण बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे विभिन्न कंपनियों के साथ मिलकर कार्यस्थलों में समानता और विविधता के महत्व पर जोर देते हैं और उन्हें LGBTQIA+ समुदाय के प्रति समावेशी नीतियाँ अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं। उनका मानना है कि जब लोग अपनी पहचान के साथ सम्मानित और सुरक्षित महसूस करते हैं, तो वे कार्यस्थल पर अधिक उत्पादक और रचनात्मक हो सकते हैं, जो अंततः समाज और अर्थव्यवस्था को भी लाभ पहुंचाता है।


राजकुमार मानवेंद्र सिंह गोहिल का यह सफर और LGBTQIA+ अधिकारों के प्रति उनका समर्पण न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में LGBTQIA+ समुदाय के लिए एक प्रेरणा है। उनके प्रयास LGBTQIA+ समुदाय के लोगों को एक सम्मानजनक जीवन जीने के लिए सशक्त बना रहे हैं और समाज को अधिक समावेशी और स्वीकार्य बना रहे हैं।

कृषि वस्तुओं के निलंबन का खाद्य कीमतों और कृषि पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव

नई दिल्ली, दिल्ली, भारत

शैलेश जे. मेहता स्कूल ऑफ मैनेजमेंट (SJMSOM), आईआईटी बॉम्बे और बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (BIMTECH), नोएडा द्वारा प्रस्तुत एक स्वतंत्र शोध 

अलग-अलग अध्ययनों ने प्रचलित बाजार मिथक 'कमोडिटी डेरिवेटिव ट्रेडिंग से मुद्रास्फीति बढ़ती है' को ध्वस्त कर दिया है

भारत के प्रमुख बी-स्कूलों में से एक, बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (BIMTECH), नोएडा और शैलेश जे मेहता स्कूल ऑफ मैनेजमेंट (SJMSOM), IIT बॉम्बे ने एक्सचेंज ट्रेडेड कमोडिटीज (ETCDs) पर फ्यूचर डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स के निलंबन के प्रभाव की जांच करने के लिए दो अलग-अलग अध्ययन किए। BIMTECH रिपोर्ट कमोडिटी डेरिवेटिव्स पर रोक का अंडरलाइंड कमोडिटी बाजार पर असर, में जनवरी 2016 से अप्रैल 2024 के बीच सरसों बीज, सोयाबीन, सोया तेल, सरसों तेल और पाम ऑयल का अध्ययन किया गया है । यह रिपोर्ट निर्णायक रूप से बताता है कि ETCDs (एक्सचेंज ट्रेडेड कमोडिटीज) के निलंबन के कारण वास्तविक बाजार में में संदर्भ मूल्य की अभाव की स्तिथि उत्पन्न हो जाती है , और इसके परिणामस्वरूप मंडी भाव एक जैसे नहीं रहते । विभिन्न मंडियों में भाव बहुत अलग-अलग होते हैं और कीमतें भी ज्यादा ऊपर-नीचे होती है। शैलेश जे मेहता स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, आईआईटी बॉम्बे द्वारा किए गए अध्ययन का शीर्षक है - कमोडिटी डेरिवेटिव्स पर रोक का कृषि तंत्र पर प्रभाव । इसमें द्वितीयक और प्राथमिक शोध को मिलाकर व्यापक तरीका अपनाया गया। प्राथमिक आंकड़े महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश में सर्वेक्षण और बाजार प्रतिभागियों (किसान और एफपीओ समेत) के गहन साक्षात्कार के जरिये इकट्ठे किए गए।, जिसमें सरसों बीज, सोया तेल, सोयाबीन, चना और गेहूं जैसी कमोडिटी को केंद्र में रखा गया। अध्ययन में इस बात का उल्लेख किया गया है डेरिवेटिव्स अनुबंध किसानों और वैल्यू चेन के दूसरे भागीदारों के लिए भाव तय करने तथा जोखिम संभालने का अहम जरिया होते हैं। इसके जरिये वे उतार-चढ़ाव और कृषि आर्थिक क्षेत्र में दूसरे जोखिमों को संभाल सकते हैं।

साल 2021 में, सेबी ने सात कृषि कमोडिटी/कमोडिटी समूहों में डेरिवेटिव ट्रेडिंग पर रोक लगा दी। इसे 2003 में कमोडिटी एक्सचेंजों के आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक संस्करण के अस्तित्व में आने के बाद से भारतीय कमोडिटी डेरिवेटिव बाजार पर अब तक का सबसे बड़ा प्रतिबंध कहा जा सकता है। हालांकि निलंबन के लिए कोई विशेष कारण नहीं बताया गया, लेकिन ज्यादातर लोग यही मानते हैं कि चढ़ते भावों पर अंकुश लगाने के लिए रोक लगाई गई थी क्योंकि डर था कि डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग से कीमतें बढ़ रही हैं। इस संदर्भ में, भारत के दो प्रतिष्ठित संस्थानों ने 'कमोडिटी डेरिवेटिव के निलंबन का कमोडिटी इकोसिस्टम पर प्रभाव ' का मूल्यांकन करते हुए एक व्यापक अध्ययन किया।

BIMTECH का अध्ययन डॉ. प्रबीना राजीब, डा. रुचि अरोड़ा, बिमटेक से और डॉ. परमा बराई आईआईटी, खड़गपुर द्वारा किया गया जो तीन दृष्टिकोणों पर केंद्रित है

स्थानीय मंडियों के लिए प्राइस एंकर उपलब्ध नहीं होने का असर।

कमोडिटी वायदा पर रोक और थोक तथा रिटेल स्तर पर खाद्य तेल के भाव पर असर।

निलंबित वस्तुओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में हेजिंग दक्षता

अध्ययन पर टिप्पणी करते हुए प्रोफेसर प्रबीना राजीब ने कहा, “भारत में कमोडिटी डेरिवेटिव अनुबंध पर समय-समय पर रोक लगाना चलन जैसा बन गया है, जो न केवल डेरिवेटिव क्षेत्र के विकास में बाधा डाल रहा है, बल्कि समग्र कमोडिटी पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को भी प्रभावित कर रहा है। हालांकि, दुनिया भर में कमोडिटी एक्सचेंज सैकड़ों वर्षों से बेरोकटोक कमोडिटी डेरिवेटिव्स अनुबंध चलाते आ रहे हैं, जबकि इन कमोडिटी में अक्सर आपूर्ति और मांग का मेल बिगड़ जाता है और कीमत ऊपर-नीचे होती रहती हैं । इस शोध के माध्यम से भारत में रोक के पीछे अंतर्निहित प्रचलित विश्वास प्रणाली में गहराई से जाना और सबसे प्रमुख इकाई - हमारे किसानों और मूल्य श्रृंखला प्रतिभागियों पर इसके प्रभाव को समझना दिलचस्प था। हमारा अध्ययन स्पष्ट करता है कि डेरिवेटिव वायदा कारोबार के बारे में यह धारणा कि मूल्य मुद्रास्फीति की ओर ले जाती है, गलत हो सकती है। खुदरा और थोक मूल्य के हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि विशेष रूप से खाद्य तेलों के लिए, न केवल निलंबन अवधि के दौरान सभी श्रेणियों में कीमतों में वृद्धि हुई है, बल्कि खुदरा उपभोक्ता और भी अधिक कीमत चुका रहे हैं।”


एसोसिएट प्रोफेसर सार्थक गौरव (अर्थशास्त्र) और सहायक प्रोफेसर पीयूष पांडे (वित्त) द्वारा किए गए शैलेश जे मेहता स्कूल ऑफ मैनेजमेंट आईआईटी बॉम्बे अध्ययन में चार विशिष्ट उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित किया गया।

पांच कमोडिटी डेरिवेटिव्स पर रोक के कृषि तंत्र पर हुए असर की पड़ताल करना।

कमोडिटी पर रोक के बाद पड़ने वाले प्रभाव की तस्वीर पेश करना और वायदा तथा हाजिस भाव, वॉल्यूम एवं उतार-चढ़ाव के बीच संबंध की पड़ताल करना।

यह समझना कि जिस कमोडिटी पर रोक लगाई गई, उसमें अटकलबाजी चिंता का विषय है या नहीं।

वास्तविक बाजार में भागीदारी करने वालों के बीच वायदा बाजार की समझ का पता लगाना। इसमें किसान समुदाय भी शामिल है, जिसके वायदा ट्रेडिंग के बारे में अनुभवों का अध्ययन बहुत कम हुआ है।

अपने शोध के बारे में बोलते हुए प्रोफेसर सार्थक गौरव ने टिप्पणी की, "हमारे शोध में पाया गया है कि पांच निलंबित वस्तुओं के लिए कमोडिटी वायदा कारोबार और हाजिर बाजार की कीमतों के बीच सकारात्मक संबंध का कोई सबूत नहीं है, जो यह दर्शाता है कि वस्तुओं के लिए वायदा कारोबार और खाद्य मुद्रास्फीति के बीच संबंध गलत है। वास्तव में, तीन राज्यों - महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात में कमोडिटी वायदा और हाजिर कीमतों के आंकड़ों और सर्वेक्षणों के विश्लेषण पर आधारित अध्ययन दृढ़ता से स्थापित करता है कि जिन कमोडिटी पर रोक लगाई गई और जिन पर रोक नहीं लगाई गई, दोनों के ही भाव रोक के बाद भी ऊंचे ही बने रहे और कमोडिटी के रिटेल मूल्य पर घरेलू और विदेशी मांग तथा आपूर्ति का असर पड़ता है"। उन्होंने आगे कहा कि "कमोडिटी डेरिवेटिव्स अनुबंध कीमत तय करने में बड़ी भूमिका निभाते हैं, जो विश्लेषण से स्पष्ट है। रोक के बाद रेफरेंस प्राइसिंग व्यवस्था खत्म हो जाने तथा मूल्य जोखिम प्रबंधन के तरीके बिगड़ जाने के कारण कमोडिटी के बेहतर भाव तय करने की प्रक्रिया पर प्रतिकूल असर पड़ा है। उचित मूल्य पता लगाने की प्रक्रिया में बाधा आई है और बाजार में प्रवेश तथा भागीदारी पर भी असर पड़ा है। "

दोनों अध्ययनों द्वारा सामने रखे गए दृष्टिकोण को जोड़ते हुए, कमोडिटी पार्टिसिपेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CPAI) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री संजय रावल ने कहा, “कमोडिटी और डेरिवेटिव ट्रेडिंग का निलंबन न केवल कृषि मूल्य श्रृंखला पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, बल्कि यह दीर्घ अवधि में तंत्र में निहित विश्वास को भी तोड़ता है। इसलिए, यह ध्यान रखना उचित है कि इस तरह के फैसलों का हमारे कमोडिटी बाजार पर भौतिक और वित्तीय दोनों तरह से दीर्घकालिक परिणाम होते हैं। घरेलू खुदरा कीमतों पर अंतरराष्ट्रीय बाजारों, भू-राजनीतिक वातावरण, मौसम संबंधी विसंगतियों, आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों आदि जैसे संभावित मौलिक मूल्य को प्रभावित करने वाले कारकों के आलोक में इस तरह के प्रतिगामी कदमों का मूल्यांकन किया जाना चाहिए”। उन्होंने आगे बताया कि, “डेरिवेटिव ट्रेडिंग मूल्य खोज और मूल्य जोखिम प्रबंधन के लिए वायदा बाजार के लिए एक रेफरेंस प्राइसिंग प्रदान करती है। यहां तक कि भारतीय आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 ने कृषि डेरिवेटिव बाजार द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया है। मेरा ईमानदारी से मानना है कि कमोडिटी वायदा बाजार प्रभावी रूप से मूल्य खोज में तभी योगदान दे सकता है जब कई उपभोक्ता, उत्पादक, व्यापारी और एग्रीगेटर इन बाजारों का उपयोग अपने जोखिम को कम करने के लिए करें।”

इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट आनंद (आईआरएमए) में कमोडिटी मार्केट्स में उत्कृष्टता केंद्र के प्रोफेसर और समन्वयक डॉ. राकेश अरवटिया ने कहा, "कमोडिटी डेरिवेटिव्स बाजार संचालित उपकरण हैं, जो अस्थिर समय के दौरान ढाल के रूप में काम करते हैं - मूल्य श्रृंखला प्रतिभागियों के हितों की रक्षा करते हैं और कमोडिटी बाजारों में स्थिरता लाते हैं। चूंकि ये अपेक्षाकृत नए उपकरण हैं, इसलिए उनके बारे में एक निश्चित स्तर की आशंका है। हालांकि, सरकार को इन उपकरणों का उपयोग किसानों को मूल्य अस्थिरता के बावजूद उनके मूल्य जोखिम का प्रबंधन करने में मदद करने के लिए करना चाहिए, उन्हें सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, जिससे वॉल्यूम बढ़े और बाजार का विश्वास मजबूत हो।"